रिपोर्टर ,शशिकांत सनसनी अंबागढ़ चौकी छत्तीसगढ़
दिनांक: 30 जुलाई 2025 छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी ज़िले में किसानों के साथ एक बड़े धोखे का पर्दाफाश हुआ है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के विधिक सलाहकार अधिवक्ता महेन्द्र साहू की शिकायत पर स्थानीय चन्द्रा कृषि केंद्र में औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें नकली कृषि उत्पाद की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
डिब्बे पर ‘AKV क्रॉप साइंस’, अंदर ‘फार्मर बायो क्रॉप’ का माल
जांच के दौरान पाया गया कि दुकान में “काला हीरा” नामक उत्पाद के पैकेट रखे गए थे, जिनकी पैकिंग पर एक कंपनी का नाम और अंदर भरा माल किसी अन्य कंपनी से संबंधित था। यह उत्पाद ए.वी.के. क्रॉप साइंस के लाइसेंस पर बेचा जा रहा था, जबकि कार्टून और अंदर भरी सामग्री फार्मर बायो क्रॉप साइंस से संबंधित प्रतीत हो रही थी।
एक पैकेट खोलकर जांच करने पर उसमें भरी सामग्री कोयले की धूल या अगरबत्ती बनाने वाले पाउडर जैसी प्रतीत हुई — जो कृषि मानकों से बिल्कुल मेल नहीं खाती। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इस संदिग्ध उत्पाद से संबंधित कोई भी वैध दस्तावेज, गुणवत्ता प्रमाणपत्र या कंपनी की स्वीकृति रसीद उपलब्ध नहीं थी।
निरीक्षण के दौरान अधिकारी नदारद
जब मामले की जानकारी कृषि विकास अधिकारी तेजराम सलामे और कृषि निरीक्षक जितेन्द्र नेताम को दी गई, तो दोनों ही अधिकारी फोन रिसीव नहीं कर पाए। बाद में जब निरीक्षण टीम कृषि कार्यालय पहुंची, तब भी दोनों अधिकारी कार्यालय से अनुपस्थित पाए गए। फोन पर उन्होंने स्वयं को कार्यालय से बाहर होना बताया।
किसानों के सवाल और प्रशासन की चुप्पी
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन की निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। किसान यह पूछ रहे हैं कि—
नकली खाद दुकानों तक कैसे पहुंच रही है?
क्या निरीक्षण केवल खानापूर्ति तक सीमित रह गया है?
यदि ऐसी नकली खाद खुलेआम बिक रही है, तो कृषि विभाग की भूमिका पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
भारतीय किसान यूनियन की मांगें
भारतीय किसान यूनियन ने इस पूरे प्रकरण पर—
उच्च स्तरीय जांच,
दोषियों के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही,
नकली खाद बनाने वाली फैक्ट्री के लाइसेंस रद्द करने और
प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की मांग की है।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे कुछ व्यापारी शासन को गुमराह कर नकली उत्पाद बेच रहे हैं, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद, विश्वास टूटा, और पूरे कृषि तंत्र की साख को नुकसान पहुंचा है। यह कृषि विभाग की लापरवाह निरीक्षण प्रणाली को भी बेनकाब करता है।
भारतीय किसान यूनियन की सजगता से यह अनियमितता सामने आई है, अब देखने की बात यह होगी कि शासन प्रशासन इस पर क्या कड़ा कदम उठाता है। जिससे सरकार की छवि अन्नदाताओं के साथ आम जनता पर स्वच्छ साफ विश्वास बनी रहे